लघुकथा
तस्वीर
मनोज कुमार
उसने अपने मृत पिता की तस्वीर बेड रूम में लगा ली।
रोज़ सुबह अपने जन्म-दाता को देखकर दिन की शुरुआत करता। तस्वीर के इर्द-गिर्द उसने अपनी, बीवी और बच्चों की तस्वीरें भी रख दीं, जैसे पिता का परिवार पूरा हो गया हो। आशीष-वर्षा की कल्पना में मन सन्तोष से भर उठा।
एक दिन दूर का रिश्तेदार घर आया। उसकी पत्नी ने इसकी पत्नी के कान में कहा, “मरे हुए लोगों के साथ अपनी तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। और वह भी बेड रूम में ! ........ अशुभ होता है।”
पत्नी के मन में शंका के बीज पलने लगे।
पिता की तस्वीर अब स्टोर रूम की शोभा बढ़ा रही थी।
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