शौबीग या फटिकजल – रंग बदलने वाला पक्षी
शौबीगयाफटिकजल– रंग बदलने वाला पक्षीअंग्रेज़ी में नाम :Common Ioraवैज्ञानिक नाम : Aegithia tiphiaAigithos – a mythical bird mentioned by AristotleTiphys – the pilot of the Argonauts.स्थानीय नाम : हिंदी...
View Articleसरकार और भारतीयों के बीच समझौता
गांधी और गांधीवाद-1571911 सरकार और भारतीयों के बीच समझौतासत्याग्रहियों की साखटॉल्स्टॉय फार्म में रह रहे सत्याग्रहियों के जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते थे। कोई सत्याग्रही जेल जाने वाला होता था तो...
View Articleतुम न जाने किस जहाँ में खो गये
तुम न जाने किस जहाँ में खो गये-सलिल वर्मा दिल ढ़ूँढ़ता है फिर वही फ़ुर्सत के रात-दिन,बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए!चचा ग़ालिब और फिर उनके बाद चचा गुलज़ार, दोनों इसी शे’र के मार्फ़त समझा गये हैं कि...
View Articleमहालट - पारिवारिक वार्तालाप करने वाला पक्षी
महालट - पारिवारिक वार्तालाप करने वाला पक्षीअंग्रेज़ी में नाम : Indian Treepie or Rufous Treepieवैज्ञानिक नाम : डेंड्रोसिट्टा वेगाबंडा (Dendrocitta vagabunda)Dendron : a tree, kitta : the magpieVagabunda...
View Articleगोखले की दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा
गांधी और गांधीवाद-1571912 गोखले की दक्षिण अफ़्रीका की यात्रादक्षिण अफ़्रीका के आंदोलन की गूंज भारत तक पहुंची। भारत में ‘वायसरीगल काउंसिल के ऑफ इंडिया’ के गोपालकृष्ण गोखले ने रंगभेद के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़...
View Articleखंजन - लगातार दुम ऊपर-नीचे हिलाते रहने वाला पक्षी
खंजन - लगातार दुम ऊपर-नीचे हिलाते रहने वाला पक्षीअंग्रेज़ी में नाम :White Wagtailवैज्ञानिक नाम :Motacilla alba{L. motacilla, a wagtail,-cilla, hair, alba : L. albus, white.}स्थानीय नाम : हिंदी में इसे...
View Articleकाम करती मां
काम करती मां--- --- मनोज कुमारजब मां आटा गूंथती थीतो सिर्फ अपने लिए ही नहीं गूंथती थी,सबके लिए गूंथती थी,झींगुर दास के लिए भी ! मां जब झाड़ू देती थीतो सिर्फ घर आंगन ही नहीं बुहारती थीओसारा, दालान...
View Articleसत्याग्रह फिर आरम्भ
गांधी और गांधीवाद-1581913सत्याग्रह फिर आरम्भसत्याग्रह आंदोलन में काफ़ी सूक्ष्म विचार से काम लिया जा रहा था। नीति के विरुद्ध कोई भी क़दम न उठाया जाए इस पर विशेष ध्यान रखा जाता था। जैसे ख़ूनी क़ानून केवल...
View Articleरुबाइयाँ - करण समस्तीपुरी
नमस्कार !अनायास कुछ तुकबंदी हो गई। एक मित्र को सुनाया तो उन्होंने कहा, "वाह मियाँ ! अब रुबाइयाँ भी लिखने लगे हो।"कुछ और लिख लिया। कभी अकेले में खुद ही गुनगुना भी लेता हूँ। सोचा कि आप से शेयर कर लूँ तो...
View Articleफ़ुरसत में ... फ़ुरसत से ...!
फ़ुरसत में ... 118 फ़ुरसत से ...!मनोज कुमारमहत्वपूर्ण यह नहीं कि ज़िन्दगी में आप कितने ख़ुश हैं, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि आपकी वजह से कितने लोग ख़ुश हैं।वास्तव में कुछ लोगों की कुछ खास बातें, उनकी कुछ खास...
View Articleचींटी
चींटी (एक लंबी कविता)चींटियों को भी हो जाता मौत के पहले ही एहसास अब उनकी आयु पहुंच गई है खतम होने के आस-पास उस समय जगती है उनकी भीतरी प्रेरणा कि ज़िन्दगी के दिन बचे हैं अब बहुत थोड़े से हो जाती...
View Articleफ़ुरसत में ... नैना मिलाइके
फ़ुरसत में ... 119नैना मिलाइकेमनोज कुमारकिसी ने क्या ख़ूब कहा है - जिसकी प्यास एक सुराही से न बुझे वह लाख दरिया को चूमे प्यासा का प्यासा ही रह जाएगा। अब ये बात कहने वाले ने किस सन्दर्भ में कही उसे जाने...
View Articleबादल
बादल- करण समस्तीपुरी१.भर अंबर मेंरोर मचाएप्यासी वसुधाको तरसाएचमक-दमक केआश जगाएना बरसाए जलओ छलिया बादल। २.गई जेठ कीतप्त दुपहरीसावन रीता बिन हरियरीकाना, हस्तीगए स्वातीचले न अब तक हलओ बेसुध बादल।३.भादों...
View Articleसत्याग्रह का आंदोलन फिर से …
गांधी और गांधीवाद-159सत्याग्रह का आंदोलन फिर से …1913शादियां अवैध घोषित कर दी गईउधर जनरल स्मट्स के धोखे से भारतवासियों का रोष बढ़ रहा था। इस बीच उच्चतम न्यायालय के बाई मरियम के एक मुकदमे के फैसले ने आग...
View Articleरामधारी सिंह ‘दिनकर’ की 106वीं जयंती पर
रामधारी सिंह ‘दिनकर’जन्म : रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार के मुंगेर (अब बेगूसराय) ज़िले के सिमरिया गांव में बाबू रवि सिंह के घर 23 सितम्बर 1908 को हुआ था।शिक्षाऔर कार्यक्षेत्र : ढाई वर्ष की उम्र में...
View Articleफ़ुरसत में - शब्द
फ़ुरसत में – 120शब्दनिर्मित्तं किंचिदाश्रित्य खलु शब्दः प्रवर्तते।यतो वाचो निवर्तन्ते निमित्तानामभावतः॥निर्विशेषे परानन्दे कथं शब्दः प्रवर्तते।(कठरुद्रोपनिषद्)अर्थात् शब्द की प्रवृत्ति किसी निमित्त को...
View Articleगांधी जयंती और स्वच्छता अभियान
गांधी जयंती और स्वच्छता अभियान 1886गांधी जी तब सत्ताइस वर्ष के थे। उन्हें पता लगा कि बम्बई (मुंबई) में ब्यूबोनिक प्लेग की महामारी फूट पड़ी। चारों तरफ़ घबराहट फैल गई। पूरे पश्चिम भारत में आतंक छा गया। जब...
View Articleफ़ुरसत में ... 121 निराशा ही निराशा
फ़ुरसत में ... 121निराशा ही निराशामनोज कुमारकभी-कभी मेरे दिल में ख़्याल आता है कि मैं निराशावादी होता जा रहा हूं। मुझे पता है कि निराशा बड़ी ख़तरनाक़ चीज़ है। फिर भी, मैं समाज, देश, परिवार के लिए कतई ख़तरनाक़...
View Articleकैसा विकास है...?
कैसा विकास है...?- करण समस्तीपुरीकैसा विकास है, ये कैसा विकास है?सूखा-सा सावन है, जलता मधुमास है।कैसा विकास है, ये कैसा विकास है??मंगल पर जा बैठे, मँगली को मारते।सरेआम देवियों की इज्जत उतारते।पाकेट...
View Articleफ़ुरसत में ... मोती की याद!
फ़ुरसत में ... 122मोती की याद!मनोज कुमारपशु-पक्षियों की भी अपनी भाषा होती है। उनका भी अपना एक संप्रेषण सिद्धान्त होता ही होगा। जब संप्रेषण होगा, तो नामकरण भी वे कर ही लेते होंगे। वैसे तो प्रकृति द्वारा...
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